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83/84 श्री बिल्वेश्वर महादेव
83/84 श्री बिल्वेश्वर महादेव
एक बार ब्रम्हा ने लोगो पर दया करने के लिए भगवान का ध्यान किया उससे कल्पवृक्ष उत्पन्न हुआ वृक्ष में एक बिल्व का पेड भी था उसके एक पत्ते के नीचे एक पुरूष आराम कर रहा था। ब्रम्हा आए ओर उसे बिल्व दिया ब्रम्हा के जाने के बाद इंद्र वहा आए और उसे पृथ्वी पर राज करने के लिए कहा बिल्व ने कहा की इंद्र का वज्र मिले तो वह पृथ्वी पर राज करेगा। इंद्र ने उससे कहां कि जब भी तुम वज्र का स्मरण करोगें वज्र तुम्हारे पास आ जायेगा इस के बाद बिल्व पृथ्वी पर राज करने लगा कपिल मुनि ओर बिलव में मित्रता हो गई एक बार धर्मवार्ता के दौरान दोनो झगडने लगे ओर बिल्व ने वज्र से कपिल मुनि के सिर पर प्रहार कर दिया कपिल मुनि ब्रम्ह विद्या से स्वयं को ठीक कर ब्रम्हा के पास गये ओर वरदान मांगा की उन पर वज्र का प्रहार नही होगा ओर इसके पश्चात एक बार फिर बिल्व ओर कपिल मुनि में विवाद हुआ परंतु इस बार ब्रम्हा के वरदान के कारण उन पर वज्र का प्रहार नही हुआ बिल्व ने भगवान विष्णु की उपासना कर वरदान मांगा की कपिल उससे डरे। वरदान देकर विष्णु कपिल मुनि के पास गये
ओर उनसे कहां कि वह बिल्व से कहें वह उससे डरते है कपिल मुनि ने मना किया तो विष्णु उनसे युद्ध करने लगे इस बीच ब्रम्हा ने आकर युद्ध शांत कराया दूसरी ओर बिल्व रूदन करने लगा की कपिल उससे डरते नही है यह देख इंद्र ने कहा की बिल्व तुम महाकाल वन में पश्चिम दिशा में स्थित शिवलिंग के दर्शन करो इससे तुम्हे विजय प्राप्त होगी । बिल्व महाकाल वन में आया ओर यहां आकर उसने शिव के दर्शन कर पूजन किया इस बीच कपिल मुनि वहां पहंुचे उन्होने देखा की बिल्व के शरीर में शिव है तो उन्होने बिल्व से कहा की तुमने मुझे जीत लिया राजा बिल्व के दर्शन ओर पूजन के कारण शिवलिंग बिल्वकेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हुआ । मान्यता है कि जो मनुष्य शिवलिंग के दर्शन करेगा। वह सभी पापों से मुक्त होगा। ओर अंतकाल में शिवलोेक को प्राप्त करेगा।